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भदोही: ज्ञानपुर विधानसभा बाहुबली विधायक विजय मिश्र की अनसुनी बातें
Uttar Pradesh / 2024-08-28 08:49:50 / Share this article:
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भदोही: ज्ञानपुर विधानसभा बाहुबली विधायक विजय मिश्र की अनसुनी बातें

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

विजय मिश्र :- का जन्म 7 सितंबर 1957 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज ) जिले के खपटिया गांव में हुआ था। उनका प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि उनके राजनीतिक करियर और उनके निर्वाचन क्षेत्र के साथ उनके संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।

विजय मिश्र ने 1986 में भदोही जिले की राजनीति में ब्लाक प्रमुख डीघ के रूप में अपना सियासी सफर शुरू किया था। अपने राजनीतिक करियर के दौरान, विजय मिश्र ने विभिन्न पदों पर कार्य किया, जिनमें जिला पंचायत अध्यक्ष और विधानसभा ज्ञानपुर सीट शामिल हैं। उनके परिवार की गहरी जड़ें और पारंपरिक मूल्यों ने उनके राजनीतिक जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


राजनीतिक यात्रा

विजय मिश्र ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1986 में की और जल्द ही स्थानीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) से तीन बार विधायक के रूप में कार्य किया। 2017 में जब सपा ने उनका टिकट काट दिया, तब उन्होंने निषाद पार्टी से चुनाव लड़ने का फैसला किया और चौथी बार जीत हासिल की। इस चुनाव में उन्होंने 22,000 से अधिक मतों से विजय प्राप्त की।


विजय मिश्र का प्रभाव और उपलब्धियां

विधायक के रूप में विजय मिश्र ने ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र में कई विकास परियोजनाएं शुरू कीं। उनकी कार्यकाल में सड़कों का निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और शैक्षिक संस्थानों की स्थापना जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां रहीं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी और किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए।


विवाद और कानूनी मुद्दे

विजय मिश्र का राजनीतिक करियर विवादों और कानूनी चुनौतियों से घिरा रहा है। अगस्त 2019 में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा माफिया के खिलाफ चलाए गए अभियान के तहत उनके खिलाफ शिकंजा कस दिया गया। उन पर रिश्तेदार कृष्णमोहन तिवारी का भवन एवं फर्म हड़पने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया। मध्यप्रदेश के आगर में गिरफ्तार होने के बाद से वह आगरा जेल में बंद हैं।



वर्तमान स्थिति

विजय मिश्र ने जेल में रहते हुए भी पांचवीं बार विधायक बनने के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार जनता ने उन्हें नकार दिया। 18वें विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा सहयोगी दल निषाद पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी टक्कर में हार का सामना करना पड़ा और वह तीसरे स्थान पर रहे। इस बार फिर से निषाद पार्टी ने ज्ञानपुर सीट पर कब्जा कर लिया।



भविष्य की संभावनाएं

विजय मिश्र का भविष्य अब कानूनी चुनौतियों और राजनीतिक गतिशीलता पर निर्भर करता है। उनके जेल में रहते हुए भी उनके समर्थकों और राजनीतिक रणनीतियों के माध्यम से उनकी प्रभावशाली उपस्थिति बनी हुई है। हालांकि, उनके राजनीतिक करियर का भविष्य कानूनी लड़ाइयों और राजनीतिक बदलाओं पर निर्भर करेगा।


निष्कर्ष

विजय मिश्र का राजनीतिक सफर उनकी दृढ़ता, राजनीतिक कौशल और जनता के साथ गहरे संबंध का प्रतीक है। हालांकि उनका करियर विवादों और कानूनी मुद्दों से घिरा रहा है, लेकिन उनके योगदान और समर्थकों का समर्थन उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बनाता है। जैसा कि वह आने वाली चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, विजय मिश्र की कहानी उनके संघर्ष और राजनीतिक रणनीतियों की बनी रहेगी।


- संपादक: पेज एडमिन 


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