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नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024: संपूर्ण 9-दिवसीय कार्यक्रम और दुर्गा पूजा विवरण - The SRP News
Dharmik / 2024-10-02 10:20:27 / Share this article:
ACHYUT
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नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024: संपूर्ण 9-दिवसीय कार्यक्रम और दुर्गा पूजा विवरण - The SRP News

नवरात्रि 2024: संपूर्ण 9-दिवसीय कार्यक्रम और दुर्गा पूजा विवरण

नवरात्रि, जो देवी दुर्गा को समर्पित एक रंगीन और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध त्योहार है, भारत भर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। 2024 में, यह नौ दिवसीय त्योहार गुरुवार, 3 अक्टूबर से शुरू होकर शनिवार, 12 अक्टूबर को समाप्त होगा। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी के एक विशिष्ट रूप से जुड़ा होता है, साथ ही अद्वितीय अनुष्ठान, रंग और भेंट भी होते हैं। यहां नवरात्रि 2024 का विस्तृत कार्यक्रम, प्रमुख अनुष्ठान और हर दिन के लिए निर्धारित रंगों की जानकारी दी गई है।


नवरात्रि 2024: दुर्गा पूजा के विवरण और अनुष्ठान

सरल और स्पष्ट पूजा-विधि:

  • सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें – शुद्धता के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर के मंदिर को साफ करें।
  • दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें – मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर पर गंगाजल अर्पित करें ताकि शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
  • माता को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल फूल अर्पित करें – दुर्गा माता को अक्षत (चावल), लाल चंदन, चुनरी, और लाल पुष्प अर्पित करें। ये भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक हैं।
  • सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें और फल, फूल, और तिलक लगाएं – घर के मंदिर में सभी देवी-देवताओं पर जल छिड़कें और उन्हें फल, फूल अर्पित कर तिलक लगाएं।
  • घट और कलश स्थापित करें – पूजा के लिए घट (मिट्टी का पात्र) और कलश (तांबे का पात्र) स्थापित करें। यह शुभता का प्रतीक होता है।
  • फल और मिठाई प्रसाद के रूप में चढ़ाएं – दुर्गा मां को प्रसाद के रूप में ताजे फल और मिठाई अर्पित करें।
  • मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं – धूपबत्ती और घी का दीपक जलाकर पूजा स्थल को पवित्र और सुगंधित बनाएं।
  • दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें – दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का श्रद्धा के साथ पाठ करें।
  • पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर माता की आरती करें – पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखें, इसे जलाकर माता की आरती करें।
  • अंत में क्षमा प्रार्थना करें – पूजा के अंत में सभी भूल-चूक के लिए मां दुर्गा से क्षमा याचना करें।


नवरात्रि का पहला दिन - 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार

तिथि: प्रतिपदा

पूजा: घटस्थापना, शैलपुत्री देवी पूजा

रंग: पीला

अनुष्ठान: इस दिन घटस्थापना की जाती है, जिसमें देवी के आगमन के प्रतीक के रूप में एक पवित्र कलश स्थापित किया जाता है। भक्त देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं और उनसे शक्ति और बुद्धि की प्रार्थना करते हैं।

मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।


नवरात्रि का दूसरा दिन - 4 अक्टूबर 2024, शुक्रवार

तिथि: द्वितीया

पूजा: चंद्र दर्शन, ब्रह्मचारिणी देवी पूजा

रंग: हरा

अनुष्ठान: दूसरे दिन भक्त चंद्र दर्शन करते हैं और प्रेम और भक्ति की प्रतीक देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं।

मंत्र: या देवी सर्व भूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।


नवरात्रि का तीसरा दिन - 5 अक्टूबर 2024, शनिवार

तिथि: तृतीया

पूजा: सिंदूर तृतीया, चंद्रघंटा देवी पूजा

रंग: धूसर ( grey )

अनुष्ठान: इस दिन सिंदूर तृतीया और वीरता की प्रतीक देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।

मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।


नवरात्रि का चौथा दिन - 6 अक्टूबर 2024, रविवार

तिथि: चतुर्थी

पूजा: विनायक चतुर्थी, कूष्मांडा देवी पूजा

रंग: नारंगी

अनुष्ठान: इस दिन विनायक चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि सभी कार्यों में सफलता प्राप्त हो।

मंत्र: सुर सम्पूर्ण कलशं रुधिर प्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे।


नवरात्रि का पाँचवा दिन - 7 अक्टूबर 2024, सोमवार

तिथि: पंचमी

पूजा: स्कंदमाता देवी पूजा, उपांग ललिता व्रत

रंग: सफेद

अनुष्ठान: इस दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है जो सुख और समृद्धि की प्रतीक हैं।

मंत्र: सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।


नवरात्रि का छठा दिन - 8 अक्टूबर 2024, मंगलवार

तिथि: षष्ठी

पूजा: कात्यायनी देवी पूजा

रंग: लाल

अनुष्ठान: इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है जो मातृत्व और शांति का प्रतीक हैं।

मंत्र: चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दध्यादेवी दानवघातिनी।


नवरात्रि का सातवाँ दिन - 9 अक्टूबर 2024, बुधवार

तिथि: सप्तमी

पूजा: सरस्वती आवाहन, कालरात्रि देवी पूजा

रंग: रॉयल ब्लू

अनुष्ठान: सप्तमी के दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं।

मंत्र: एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। 

वामपादोल्लसल्लोह लता कण्टक भूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिः भयङ्करी।


नवरात्रि का आठवाँ दिन - 10 अक्टूबर 2024, गुरुवार

तिथि: अष्टमी

पूजा: सरस्वती पूजा, महागौरी देवी पूजा

रंग: गुलाबी

अनुष्ठान: अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा की जाती है, जो अंधकार और बुराई को समाप्त करने वाली देवी मानी जाती हैं।

मंत्र: श्वेते वृषे महारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।


नवरात्रि का नवाँ दिन - 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार

तिथि: नवमी

पूजा: दुर्गा अष्टमी, सिद्धिदात्री देवी पूजा, संधि पूजा

रंग: बैंगनी

अनुष्ठान: नवमी के दिन दुर्गा अष्टमी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। संधि पूजा का भी आयोजन किया जाता है, जो अष्टमी और नवमी को जोड़ती है।

मंत्र: सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।


नवरात्रि का दसवाँ दिन - 12 अक्टूबर 2024, शनिवार

कार्यक्रम: आयुध पूजा, नवमी हवन, नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन

यह दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन आयुध पूजा की जाती है, जिसमें उपकरणों और औजारों की पूजा की जाती है।


नवरात्रि 2024 का महत्व

शारदीय नवरात्रि वर्ष में मनाई जाने वाली चार नवरात्रियों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह अश्विन मास में आती है और शरद ऋतु से मेल खाती है। इस दौरान देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो विभिन्न गुणों और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में यह त्योहार विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है, जहां महिलाएं नौ दिनों में नौ विभिन्न रंगों की पारंपरिक वेशभूषा धारण करती हैं।

नवरात्रि 2024 की तैयारियों में भक्तगण पूजा, अनुष्ठान और उत्सव में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं। यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है, जो लोगों को एकजुट करता है। हर दिन विशेष रंग और भेंट के पालन से यह त्योहार और भी आकर्षक बन जाता है। इस नवरात्रि 2024 को भक्ति और उत्साह के साथ मनाएं और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाएं।


डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी पूर्णतः सटीक होने का दावा नहीं किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए किसी धार्मिक विशेषज्ञ की सलाह लें।


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