सेंसर बोर्ड द्वारा दिए जाने वाले फिल्म सर्टिफिकेट: उनके प्रकार और महत्व-The SRP News
सेंसर बोर्ड फिल्मों को सर्टिफिकेट देती है, जैसे "A ", "UA " इत्यादि। इनके कितने प्रकार होते हैं और इनका क्या अर्थ है?
भारत मे फिल्मो एवं किसी भी प्रकार के documentary के नियमन भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन CBFC (Central Board of Film Certification) द्वारा किया जाता है। आज जो हम CBFC को देख रहे है वो वास्तव में अपने वास्तविक रूप के 1983 में आया था। इसके पहले इसे सिर्फ Censor Board कहा जाता था।
आज जो हम CBFC को देखते है इसका वास्तविक रूप 1920 के Indian Cinematograph Act द्वारा आया। उस समय इसे सिर्फ Censors Board कहा जाता था ।उस समय यह किसी प्रांतीय या फिर केंद्रीय सरकार के अधीन न होकर सिर्फ मुम्बई, चेन्नई, लाहौर, कलकत्ता (रंगून भी) जैसे शहरों के पुलिस प्रमुखों के अधीन था। उस समय तक सरकार सिर्फ यह देखती थी कि यह किसी जनभावना को तो नही भड़का रहा।
1952 में भारत सरकार में इसे केंद्रीय सरकार के अधीन करके फिल्मो के लिए सिर्फ दो प्रमाणपत्र निर्धारित किये गए - ‘U’ और ‘A’। बाद में 1983 में Censor Board का नाम बदल कर CBFC कर दिया गया और साथ मे ही दो अन्य प्रमाणपत्र U/A और S निर्धारित किया गया।
CBFC सर्टिफिकेट के प्रकार और उनके अर्थ
U (Universal) - इसका मतलब है Universal यह प्रमाणपत्र उन फिल्मों को दिया जाता है जिनको सभी लोग देख सकते है। इनमे ज्यादातर बच्चो और superhero की फिल्में आती है। साथ ही ज्यादार रोमांटिक फिल्मे भी आती है।
A (Adult) - इसके आन्तर्गत वयस्क प्रकार की फिल्में आती है। मतलब की इनमे सेक्स और हिंसा के काफी दृश्य हो सकते है।
U/A (Parental Guidance) - मतलब माता- पिता अथवा किसी अविभावक के देखरेख में बच्चे भी फ़िल्म देख सकते है । इनमे कुछ कम गंभीर किस्म के हिंसा एवं सेक्स दृश्य हो सकते है
S (Special Audience) - इसके अंतर्गत विशेष प्रकार के फिल्मों का प्रदर्शन किया जाता है। जैसे कि डॉक्टर या इंजीनियर के लिए विशेष फ़िल्म या Documentary