महिला नागा कैसे बनती है क्या क्या यातना सहनी पड़ती है उन्हें : The SRP News
अभी तक आपने पुरुष नागा साधु बहुत देखे होंगे लेकिन आपने शायद ही कभी महिला साधु देखा होगा आपको जानकर हैरानी होगी की जितना पुरुष नागा को कठिन परीक्षा देनी होती है उतनी ही महिला नागा को भी मिलती है और उन्हें कठिन दौर से गुजरना पड़ता है।
आपने नागा साधु को बिना वस्त्र के देखे होंगे लेकिन महिला साधु को एक ही वस्त्र मिलता है जिससे उन्हें पहनना पड़ता है वस्त्र गेरुआ रंग का होता है और बिना सिला हुआ उनको कपड़े पहनने पड़ते है यानी कि उनको गेरुआ वस्त्र का एक चादर जैसे मिलता है उसी को लपेट कर जीवन यापन करना पड़ता है।
महिला नागा को वस्त्र पहनना ज़रूरी होता है। महिला नागा को दीक्षा तभी मिलती है जब वो क़रीब 12 वर्ष तक वो ब्रह्मचर्य का पालन करती है जब महिला इस कठिन पड़ाव को पार कर लेती है तो उन्हें नागा साधु बनने की अनुमति दी जाती है।अन्यथा उन्हें किसी भी परिस्थित में नागा साधु बनने नहीं दिया जाता है।
नागा साधु बनने से पहले महिला का पुराने अतीत को सही तरीक़े से जाँच पड़ताल किया जाता है और जिससे ये अनुमान लगाया जाता है की वो नागा का ये कठिन पड़ाव पार कर लेंगी की नहीं उसके बाद ही उन्हें नागा बनने के लिए भेजा जाता है।
महिलाओं को सन्यासी बनाने की प्रक्रिया अखाड़ों की सर्वोच्च पदाधिकारी करते है।
महिला को नागा साधु बनने के दौरान उनको गंगा में स्नान करना पड़ता उसके पहले उन्हें अपने बालों को त्यागना पड़ता है यँहा तक कहा जाता है की उनको अपने बाल एक - एक कर के उखाड़ना पड़ता है उसके बाद ही वो स्नान करती है।
महिला साधु भी कुम्भ स्नान करने आती है लेकिन पहले नागा साधु स्नान कर लेते है उनके बाद ही उन्हें स्नान करना होता है।लेकिन उन्हें वहाँ पर वस्त्र पहनना ज़रूरी होता है लेकिन वही पे नागा साधु बिना वस्त्र के स्नान करते है।
महिला साधु को भी पुरुष साधु के जितना ही इज्जत मिलती है उनको माई बोल कर सम्बोधित किया जाता है।